आत्मकथा भाग-1 अंश-24
बी.एससी. में मैंने गणित, सांख्यिकी और अर्थशास्त्र विषय लिए थे। रसायन विज्ञान से मुझे बहुत अरुचि थी और भौतिक विज्ञान पढ़ना मुझे अनावश्यक लगा क्योंकि मैं गणितज्ञ और अर्थशास्त्री बनना चाहता था। सांख्यिकी इन दोनों विषयों के बीच एक पुल की तरह है, अतः यह मेरा सबसे प्रिय विषय है। सांख्यिकी में हमारे दो अध्यापक थे। एक थे श्री मुहम्मद असलम अंसारी, जो मेरे श्रेष्ठतम् शिक्षकों में से एक हैं। वे मुझे बहुत प्यार करते थे। मैं तो कहूँगा कि बी.एससी. में मेरी सफलता का एक बड़ा कारण उनका प्यार और प्रोत्साहन रहा है, जिसके अभाव में मैं शायद इण्टर की तरह ही मामूली सफलता प्राप्त कर पाता। वे न केवल एक बहुत अच्छे शिक्षक थे, बल्कि एक सच्चे इंसान भी थे। हमें बहुत से अच्छे अध्यापक मिल सकते हैं, बहुत से अच्छे इंसान भी मिल सकते हैं, लेकिन ऐसे लोग बिरले ही होंगे जिनमें ये दोनों गुण पर्याप्त मात्रा में हों। श्री अंसारी ऐसी ही एक महान विभूति थे, जिनके चरण-स्पर्श करना मैं अपना सौभाग्य समझूँगा। मैं छुटपुट कविताएँ लिखता रहता था और कभी-कभी अंसारी साहब को सुनाया करता था। वे मेरी कविताओं के बहुत प्रशंसक थे और मुझे सदा प