आत्मकथा भाग-4 अंश-56
पुत्र दीपांक का विवाह हमारे पुत्र का विवाह 3 दिसम्बर 2018 को होना तय हुआ था। इसके लिए महीनों से तैयारियाँ प्रारम्भ हो गयी थीं। होटल भी बुक करा लिये गये। कपड़े और ज्वैलरी भी खरीदे और बनवाये गये। इस सबमें मेरी भूमिका केवल धन देने की थी, अन्य किसी कार्य में मेरा कोई योगदान नहीं था। उन दिनों नौकरी छोड़ देने के बाद हमारी पुत्री मोना खाली थी और मकान पूरी तरह तैयार हो चुका था, इसलिए श्रीमती जी के पास भी काफी समय था। अधिकांश खरीदारी उन दोनों ने ही की, कई बार अपनी होने वाली बहू को साथ लेकर। मैं चाहता तो मैं भी छुट्टी लेकर वहीं आ सकता था, क्योंकि मेरे रिटायर होने का समय निकट आ रहा था और मेरे पास 6 महीने से अधिक की मेडीकल लीव पड़ी हुई थीं। लेकिन खरीदारी में मेरी कोई भूमिका नहीं होती और बेकार बैठना मेरा स्वभाव नहीं है, इसलिए मैं लखनऊ में ही नौकरी करता रहा और छुट्टियाँ बेकार कर दीं। हमारा कार्यक्रम दो दिन का था, क्योंकि तिलक के साथ बच्चों का परोजन (उपनयन संस्कार) भी होना था, जो किसी कारणवश अभी तक नहीं हो पाया था। मुख्य कार्यक्रम स्थल फतेहाबाद रोड पर हमारे निवास कमला नगर से बहुत दूर है, वहाँ तक बार-बा