आत्मकथा भाग-4 अंश-60

आरोग्य मंदिर के सामूहिक आयोजन

आरोग्य मंदिर में कई त्यौहार भी सामूहिक रूप से मनाये जाते हैं। सबसे पहले लोहड़ी मनायी गयी थी। मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व अर्थात् 13 जनवरी को रात्रि के समय आरोग्य मंदिर की ओर से बैडमिंटन कोर्ट पर लोहे की चादर डालकर अलाव लगाया गया था और गजक, मूँगफली आदि का प्रसाद वितरण किया गया था। इसमें बहुत से विद्यार्थियों ने खूब नृत्य किया था। मुख्य रूप से प्रीती सिंह (दिल्ली), निकिता जैन (कलकत्ता), आयुषी यादव (मुरादाबाद), जया मिश्रा (गोरखपुर) का नृत्य सबसे अच्छा रहा। नृत्य करते हुए एक छोटा-सा जुलूस भी परिसर में निकाला गया था। उसमें अधिकांश ने नृत्य किया था। डॉ मोदी जी ने भी हमारे साथ नृत्य करने की औपचारिकता निभाई थी। इस अवसर पर कई शिक्षार्थियों ने सिख बंधुओं के प्रेम में पगड़ी धारण की थी, जिनमें प्रमुख नाम हैं- प्रज्ञांशु पांडेय, पवन कुमार यादव, नितेश कुमार, विवेकानन्द मिश्र, दीपेन्द्रम, विजय प्रकाश आदि। यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा।
इसी दिन पहली बार हमें डॉ मोदी के बड़े भाई डॉ कृष्ण मुरारी मोदी का परिचय मिला। उन्होंने मुम्बई के पास करजत में अपना स्वास्थ्य केन्द्र बनाया था और उसमें ऑस्टियोपैथी का उपचार दिया करते थे। लेकिन वे स्वयं अपने स्वास्थ्य को बनाये नहीं रख सके। उस समय तक वे इतने कमजोर हो गये थे कि अपना हाथ भी नहीं हिला सकते थे और कुछ बोल भी नहीं सकते थे। वे पहियेदार कुर्सी पर ही बैठे रहते थे। उनकी पत्नी जी उनकी बहुत सेवा करती थीं। करजत का स्वास्थ्य केन्द्र आजकल डॉ विमल कुमार मोदी के सुपुत्र डॉ विकास मोदी की देखरेख में चल रहा है।
लोहड़ी के बाद आई 26 जनवरी अर्थात् गणतंत्र दिवस। इस दिन दो स्थानीय स्कूलों के विद्यार्थियों को आरोग्य मंदिर में उनके विद्यालय की यूनीफॉर्म में बुलाया गया था। ध्वज स्तम्भ के चारों ओर अच्छी सजावट की गयी थी। डॉ मोदी ने ध्वज फहराया और राष्ट्रगान हुआ। फिर श्रीमती प्रीती सिंह ने एक राष्ट्रीय गीत पर एकल नृत्य किया था, जो बहुत अच्छा रहा। इसके बाद सभी को गजक तथा मूँगफली का मिष्ठान्न वितरण किया गया और समारोह का समापन हुआ।
इसी दिन परिसर में एक फोटोग्राफर बुलाये गये थे, जिन्होंने हमारे एकल और सामूहिक चित्र खींचे थे। हम निर्धारित मूल्य पर अपने चित्र अपने वांछित आकार में ले सकते थे। मैंने इसमें अपने साथियों के साथ कई फोटो खिंचवाये थे।
अगला समारोह बसन्त पंचमी का हुआ। इसकी पूरी व्यवस्था विद्यार्थियों द्वारा की गयी थी। घास के मैदान में सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की गयी और उसका पूजन पूरे विधि विधान से किया गया। इस दिन विवाह समारोहों जैसे भोजन की भी व्यवस्था थी, जो वहीं पर बनवाया गया था। इस कार्यक्रम में भी सभी ने बहुत देर तक नृत्य किया और गीत गाये। एकल और सामूहिक नृत्य भी हुए।
हमारा कोर्स पूरा होने से कुछ दिन पूर्व आरोग्य मंदिर की ओर से एक सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया। उसमें कई सांस्कृतिक कायक्रम किये गये। मुख्य रूप से एक लघु नाटक का प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसका निर्देशन डॉ राम गोपाल ने किया था। इस नाटक में दिखाया गया था कि किस प्रकार मामूली बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को ऐलोपैथिक डॉक्टरों द्वारा ठगा और लूटा जाता है, जबकि उसका सफल उपचार प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा बहुत सरलता से बिना किसी खर्च के किया जा सकता है। यह नाटक बहुत प्रभावशाली था।
कार्यक्रम में कोलकाता की निकिता जैन ने एक एकल नृत्य प्रस्तुत किया था, जो "माँ" पर केन्द्रित था। यह नृत्य बहुत ही अच्छा रहा और सबको बहुत पसन्द आया।
इसके बाद श्रीमती प्रीती सिंह तथा कुछ अन्य महिला विद्यार्थियों ने सामूहिक गिद्दा नृत्य प्रस्तुत किया, जिसकी अच्छी तैयारी की गयी थी। श्री पवन यादव ने एक गीत गाया, जो आरोग्य मंदिर के गुणगान में था। इस गीत को मैंने थोड़ा सुधारा था, ताकि हमारी भावनाओं का सही प्रकटीकरण हो और बहुत अतिशयोक्तिपूर्ण भी न हो।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद बफे स्टाइल का सामूहिक भोजन हुआ, जिसकी व्यवस्था आरोग्य मंदिर की ओर से की गयी थी।
-- डॉ विजय कुमार सिंघल 'अंजान'

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